केन्द्रिय सरकार और कांग्रेस के लिए यह हर्ष का विषय हो सकता है कि टीम-अन्ना की तीन विकट गिर गईं. मुझे तो टीम-अन्ना प्रारम्भ से ही अश्व मेघ यज्ञ में छोड़े गए अश्व जैसी लगती है, परन्तु यहाँ अंतर यह है कि इस अश्व को विभिन्न दिशाओं में बैठे सवार अपनी-अपनी लगाम से खींचने का प्रयत्न कर रहे हैं. प्रारम्भ से ही यह भय रहता था कि कहीं टीम अन्ना अपने पथ से भटक न जाये. इसके पीछे यही एकमेव कारण समझ में आता था कि इस टीम में अग्निवेश जैसा संदिग्ध और विवादित व्यक्तित्व भी एक अहम् भूमिका निभा रहा था. एक बहुत ही सार्थक लक्ष्य ( जन लोकपाल बिल) की प्राप्ति के लिए बनाई गई गैर-राजनैतिक टीम-अन्ना में विभिन्न विचारधाराओं से जुड़े अपरिपक्व लोग कहीं अपना पथ भटक न जाएँ ऐसा अंदेशा तो आरंभ से ही था. टीम अन्ना के पूर्व सदस्य अग्निवेश ने संयुक्त प्रारूप समिति बनाये जाने की मांग सरकार द्वारा मान लिए जाने पर जिस प्रकार और जिस भाषा में सोनिया, मनमोहन और कांग्रेस का धन्यवाद किया वह अग्निवेश से तो अपेक्षित था परन्तु टीम-अन्ना से कतई नहीं. चमचागिरी और चाटुकारिता की पराकाष्ठ थी उसकी भाषा. जिस सरकार पर एक के बाद एक करोड़ों के घोटालों के आरोप लग रहे हों और वह भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जन लोकपाल अधिनियम बनाने में आनाकानी कर रही हो उसका चाटुकारिता की भाषा में धन्यवाद क्यूँ ? फिर बाद में यही अग्निवेश किन्ही कपिल जी से फोन पर वार्तालाप करते हुए अन्ना को पागल हाथी कहते हुए कैमरे में कैद कर लिए जाते हैं, ऐसे संदिग्ध व्यक्ति की टीम में उपस्थिति ही पथ भटकने का सन्देश दे रही थी. इस देश की यह विडम्बना है कि हम देशवासी किसी न किसी राजनैतिक दल या उनकी विचारधाराओं के खूंटे से बंधे हुए हैं इसीलिये लक्ष्य प्राप्ति से पूर्व ही अपने दलों की लाभ-हानि की गणना करते हुए बंट जाते हैं, भटक जाते हैं. जय प्रकाश नारायण के आन्दोलन के बाद जनता पार्टी का भी कुछ ऐसा ही हश्र हुआ था. इसका लाभ अंततः इन राजनैतिक दलों को ही मिलता है, और आम जनता को मिलता है भ्रष्टाचार, कुशासन और महंगाई. टीम-अन्ना के सदस्यों ने गाहे-बगाहे अपने अनेक वक्तव्यों और फैसलों से यही बचपना या अनाडीपन दर्शाया है.
टीम अन्ना का उस विवादित व्यक्तित्व अग्निवेश से तो शीघ्र ही पीछा छूट गया, परन्तु अन्य सदस्यों के विवादित वक्तव्यों और भाषणों से लगता है कि उन्होंने अग्निवेश के जाने से रिक्त हुए स्थान को भर दिया है. कभी गुजरात में मोदी और उनके विकास के कार्यों की अन्ना द्वारा तारीफ तो बाद में दबाव में बयान से पलटना. कभी योगगुरु राम देव का साथ देने की बात करना तो कभी किनारा काटना. कभी संसद और सांसदों के विरूद्ध अनावश्यक बयानबाजी और फिर उससे मुकर जाना. इतना ही नहीं कभी यह बयान कि अन्ना संसद से भी बड़े हैं आदि आदि. समाचार चैनलों और समाचार पत्रों में छा जाने की होड़ में पहले बयान देना और विवाद उठने पर उसे व्यक्तिगत राय का नाम देने की बीमारी लगता है टीम-अन्ना को भी लग चुकी है. अधिवक्ता प्रशांत भूषण का कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर जनमत संग्रह या सैना द्वारा कश्मीरियों पर अल्याचार करने के आरोप लगाने वाला विवादित व गैर आवश्यक वक्तव्य देना जिसे बाद में स्वयं अन्ना द्वारा प्रशांत का व्यक्तिगत बयान करार देना जैसे तमाम प्रकरणों से यही सब तो परिलक्षित होता है. एक ओर अन्ना आरोप लगाते हैं कि मनमोहन सिंह स्वयं तो अच्छे आदमी हैं परन्तु रिमोर्ट से चलते हैं, तो वह उस रिमोर्ट का नाम क्यूँ नहीं बताते ? एक ओर वह हिसार के उपचुनाव में कांग्रेस को वोट न देने की अपील करते हैं इसके साथ ही अरविन्द केजरीवाल कांग्रेस का नामो निशान मिटाने की बात करते हैं. वहीँ दूसरी स्वयं अन्ना कहते हैं कि यदि कांग्रेस संसद के शीतकालीन सत्र में जन लोकपाल बिल पारित करवा देती है तो वह कांग्रेस के साथ काम करने को तैयार हैं. तो इसका अर्थ यह हुआ कि लोकपाल अधिनियम बनने के साथ ही कांग्रेस की केन्द्रिय सरकार, जिस पर करोड़ों रूपये के घोटालों और भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, को उसके पापों से मुक्ति मिल जायेगी ? इस प्रकार की बयानबाजी से आम जनता को क्या सन्देश जाता है ?
कभी रिमोर्ट से सरकार चलाने की बात करना, दिखावे के लिए हिसार में कांग्रेस का विरोध और नमो निशान मिटा देने की बातें, फिर लोकपाल बिल पारित हो जाने के पश्चात् कांग्रेस के साथ मिल काम करने का आश्वासन, उत्तर प्रदेश में प्रचार करने की घोषणा और फिर एकाएक मौन व्रत पर बैठ जाना, अचानक राहुल गांधी की ओर से अन्ना के साथी और राले गंज सिद्धि के प्रधान व् अन्य को उनके ग्राम के विकास पर चर्चा के लिए दिल्ली से निमंत्रण और फिर दिल्ली से उनका बैरंग लौटना आदि तमाम घटनाक्रम पर नजर डालिए तो क्या समझ में आता है ? दाल में कुछ काला है या दाल ही काली है ? अब तो चर्चा यह भी चल पड़ी है कि कहीं अन्ना का असली एजेंडा कुछ और तो नहीं ? हिसार में दिखावे के लिए एक कमजोर प्रहार कांग्रेस पर कर दिया और अब जोर का झटका राज्यों के आनेवाले चुनावों में गैर कांग्रेसी सरकारों को लगने वाला है. यदि ऐसा हुआ तो....?
टीम-अन्ना को यह समझना चाहिए कि रामलीला मैदान में और सारे देश में आन्दोलन के समर्थन के लिए उमड़े स्वतः स्फूर्त जन सैलाब में अगर सभी राजनैतिक दलों, विचारधाराओं और संगठनों के लोग नहीं थे तो और कौन थे ? यदि कोई संगठन यह कहता है कि वह या उनके सदस्यों ने भी भरपूर समर्थन दिया तो इससे हिचकिचाहट कैसी ? यदि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक भी अन्ना के जन आन्दोलन में थे तो इसमें परहेज कैसा ? समाचार चैनलों पर सारी दुनिया ने देखा कि अनेक मुस्लिम संगठनों से जुड़े लोग वहाँ थे. तो क्या किसी ने इस पर ऐतराज किया ? टीम- अन्ना की एक सदस्य किरण बेदी दिल्ली के जामा मस्जिद के शाही इमाम ( जो स्वयं में एक बहुत ही विवादित व्यक्तित्व है ) के पास उनका समर्थन लेने जा सकती हैं तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवकों के नाम पर अन्ना हजारे इतने असहज क्यों हो जाते हैं ? क्या भ्रष्टाचार का विरोद्ध और लोकपाल बिल को पारित करने जैसे शुद्ध सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर भी जाति, धर्म, और संगठनों के प्रश्न खड़े करना उचित है ? क्या भ्रष्टाचार के विरोध में आन्दोलन करने का किसी एक संगठन का एकाधिकार हो गया है ? टीम अन्ना को यह समझना चाहिए कि उसके आन्दोलन को जन आन्दोलन के रूप में मान्यता इसीलिये मिली थी कि एक तो देश का आम जन भ्रष्टाचार से त्रस्त है दूसरे टीम अन्ना का संगठन एक गैर राजनैतिक संगठन है. परन्तु अब जन-सामान्य को लगने लगा है कि टीम अन्ना न केवल दिशा भ्रमित हो रही है बल्कि इसमें अब बिखराव भी हो रहा है जो टीम-अन्ना के साथ-साथ देश के लिए भी चिंता का कारण है. यह देश के लिए दुर्भाग्य का विषय है कि अन्ना की 21 सदस्यीय टीम के कई सदस्य विभिन्न कारणों से टीम छोड़ रहे हैं. भ्रष्टाचार पर आन्दोलन चलाने के लिए टीम-अन्ना द्वारा गठित की गई कोर-टीम के दो सदस्यों पीवी राजगोपाल और राजेन्द्र सिंह, जो कि गांधीवादी पृष्ठभूमि के हैं, ने पत्र लिखकर सूचित किया है हिसार उपचुनाव में मैदान में उतरने या न उतरने के बारे में उनकी सहमति नहीं ली गई थी, इसलिए वे स्वयं को अन्ना की कोर-टीम से अलग कर रहे हैं. हो सकता है कि इसके पीछे कोई और कारण भी हो, परन्तु अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए टीम-अन्ना को यदि अपने संगठन का गैर राजनैतिक स्वरुप बनाये रखना है तभी देश का जन साधारण उसके आन्दोलन में पूर्ण सहयोग देगा अन्यथा लोग भी बिखर जायेंगे साथ छोड़ जायेंगे जो अंततः देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण होगा.
हिसार के प्रकरण से तो टीम-अन्ना ने एक असमंजसता की स्थिति ही पैदा की थी. हिसार उप-चुनाव में कांग्रेस का विरोद्ध टीम-अन्ना की एक सोची समझी नासमझी लगती है. इतना तो स्पष्ट है कि कांग्रेस इतनी नासमझ नहीं है जितना कि टीम-अन्ना समझ रही है. कांग्रेस परदे के पीछे और परदे के आगे, दोनों प्रकार के खेल में प्रवीणता रखती है. उसे यह भलीभांति पता है कि इस उप-चुनाव के नतीजे का हरियाणा के आगामी विधान-सभा या लोकसभा के चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. इसीलिये कांग्रेस ने नतीजे पर कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं दी. दूसरी ओर स्वयं अन्ना भी अब उत्तर प्रदेश में प्रचार करने के अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम से अचानक पलटते हुए मौन व्रत पर चले गए हैं. अचानक यह मौन व्रत पर जाना क्या सन्देश देता है ? फिर रालेगन सिद्धि के प्रधान और उनके पांच अन्य साथियों को राहुल गाँधी से दिल्ली मिलने का निमंत्रण आ जाता है. संशय उठना स्वाभाविक है कि निमंत्रण के बाद मौन व्रत रखा गया या मौन व्रत के बाद निमंत्रण मिला ? दिल्ली जाकर राहुल से भेंट करने को आतुर टीम-अन्ना या रालेगन सिद्धि के प्रधान का कितना अपमान हुआ और उनका अनुभव कैसा रहा, यूँ तो यह सब विषय से हटकर है, परन्तु दिल्ली मिलने जाने की आतुरता से उनकी अपरिपक्वता ही झलकती है ?
राजनैतिक दलों द्वारा रचे जा रहे षड्यंत्रों से बचाव के साथ-साथ उसे वर्तमान मीडिया का चरित्र समझते हुए, मीडिया से नियंत्रित होने से भी बचना होगा. टीम-अन्ना से देश की आम जनता को बहुत ही आशाएं हैं. इसी कारण अन्ना के आन्दोलन में स्वतः स्फूर्त आम जन सम्मिलित हुआ था. टीम अन्ना को यह समझना होगा कि देश ने बहुत आशाओं के साथ उनका साथ देने का निश्चय किया है. लक्ष्य अभी भी कितना दूर है उसको जानते हुए व्यर्थ, अनावश्यक और असामयिक विषयों में उलझने की अपेक्षा अर्जुन बन निगाहें लक्ष्य पर ही रखनी होंगी. बहुत विश्वास के साथ यह देश उनके आह्वान पर जागृत हुआ है, इसलिए यह अति आवश्यक है कि आम जन की सहानुभूति व सहयोग बना रहे. यदि इस बार जन साधारण की आशाएं भूमिल हुईं तो उसे पुनः जागृत करने में आने वाले छः दशकों तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी.
विनायक शर्मा
राष्ट्रीय संपादक " विप्र वार्ता "
मंडी ( हिमाचल प्रदेश )
मोबाईल :9418010303


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