Thursday, October 20, 2011

कुत्ते का बचाव प्रबंधन


एक दिन एक  घने  जंगल से गुजरते हुए  एक कुत्ता राह भटक गया .  तभी उसने देखा जंगल का राजा  शेर उसकी ओर बढ़ा चला  आ रहा है .  कुत्ते की साँस वहीँ थम सी गई .  “ आज तो मेरा काम तमाम मेरा ”....... ऐसा सोच वह अपनी मृत्यु को याद करने लगा . अचानक उसकी निगाह अपने सामने पडी  कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखीं और उसके दिमाग में अपने बचाव के लिए एक बहुत ही साहसिक और खतरनाक  विचार आया . वह सामने  आते हुए शेर की तरफ़ पीठ करके बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और जोर जोर से बोलने लगा “वाह ! शेर को मार कर उसका मांस खाने  का मजा ही कुछ और है . " काश  एक और मिल जाता तो उसे भी मार कर खाने से पूरी तसल्ली हो जाती. " यह कह कर उसने जोर से डकार मारी, शेर ने उसकी पूरी बात सुन ली थी. शेर स्तब्ध सा रह गया. उसने सोचा कि यह कुत्ता तो उससे भी बलवान है जो शेर को मार कर खाता है. अपनी जान उसे भी प्यारी थी ....सो अपनी जान बचाने की मंशा से वह उलटे पैर वहाँ से भाग गया .
उधर पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा देख रहा था . चालाक बन्दर  कुत्ते की सारी चाल समझ गया और कुत्ते की पोल खोलने की मंशा से  उसने सोचा यह एक बढ़िया अवसर है ....शेर को सारी कहानी बता देता हूँ – इसी बहाने शेर से दोस्ती हो जायेगी और उससे जिन्दगी भर के लिये जान का खतरा  भी दूर हो जायेगा . यह सोच  वह शेर को पुकारता हुआ  शेर के पीछे भागा .
कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि यह धूर्त और शैतान बन्दर कोई बदमाशी करने वाला है . उधर बन्दर की पुकार सुन शेर रूक गया और बन्दर ने  शेर को सब बता दिया कि किस प्रकार  कुत्ते ने अपनी जान बचाने के लिए शेर को मूर्ख बनाया है . यह सुन शेर को बहुत क्रोध आया और वह  जोर से दहाड़ा . उसने बन्दर को कहा .... “ चल मेरे साथ अभी उस धूर्त कुत्ते की जीवन  लीला समाप्त कर देता हूँ ” और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर ने वापिस कुत्ते की तरफ़ दौड़ लगा दी . कुत्ते पर बहुत बड़ी आपदा आन पडी . एक तरफ जंगल के राजा शेर से जान बचाना और दूसरी ओर धूर्त बन्दर को उसकी चुगली की सजा देना . 
अब आप सोचिये कि उस कुत्ते ने इस आपदा से निजात पाने के लिए .....कौन से आपदा प्रबंधन का सहारा लिया होगा  ?
शेर को क्रोध में निकट आते देख कुत्ते ने एक बार फिर बिना डरे अपने दिमाग से काम लिया . इस बार वह  शेर की तरफ पीठ करके बैठ गया और  जोर-जोर से बोलने लगा... “ इस बन्दर को सिखा कर भेजे  एक घंटा हो गया, साला अभी तक एक मामूली से शेर को फ़ाँस के नहीं ला सका ” . अब प्रबुद्ध पाठक आगे कि कथा स्वयं ही समझ गए होंगे कि  उस शेर ने उस बन्दर के साथ क्या किया सलूक किया होगा ?

नैतिक शिक्षा -
ऐसे बहुत सारे बन्दर हमारे समाज में ....हमारे  आसपास ही मौजूद हैं उन्हें पहचानने की कोशिश कीजिये .

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