(यह लेख साप्ताहिक " अमर ज्वाला " (हिमाचल) समाचार पत्र अंक १२ जून २०११ में प्रकाशित हो चुका है )
क्या आपने कभी बस द्वारा लंबी दूरी की यात्रा की है ? अवश्य ही की होगी ...जहाँ रेल सुविधा उपलब्ध नहीं है....वहाँ तो आवा-गमन के लिए बस ही सबसे सुविधा जनक साधन है . आठ-दस घंटों की लगातार यात्रा के बाद जब बस का चालक बदला जाता है तब बस की चाल चलाने के तरीके से ही सभी यात्रियों को चाहे वोह सोये हुए हों या अधजगे ... एकाएक महसूस हो जाता है कि कुछ बदलाव अवश्य ही है....यानि बस का चालक अब बदल गया है . बहुत बार ऐसा भी होता है कि चालक के बदलते ही बस दुर्घटना ग्रस्त हो जाती है . यही सब बाबा राम देव के " काला-धन और भ्रष्टाचार " पर चल रहे अनशन को लेकर केन्द्रिय सरकार के रवैये से परिल्क्षीत होता है .
क्या आप प्रबुद्ध पाठक-जनों को ४ जून से पूर्व और ४ जून के बाद के धटनाक्रम से कुछ ऐसा ही प्रतीत नहीं हुआ...कि अचानक देश की बागडोर किसी अन्य के हाथ में चली गई है ? ५ जून की रात में दिल्ली की राम-लीला मैदान में जो महाभारत हुआ ...उसका अंदेशा किसी को भी नहीं था . आज भी देश वासी समझने में असमर्थ हैं कि उस रात ऐसी कौन सी मुसीबत अचानक आन पडी थी इस देश पर या दिल्ली पर कि रात को सोते हुए अनशनकारियों पर पुलिस वाले दमनकारी बन कर टूट पड़े . उन निरीह अनशनकारियों में १०-१२ वर्ष के बच्चों से लेकर ८०-८५ वर्ष तक की महिलाएं और पुरुष दोनों ही थे . धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं के आह्वान पर पचास हजार से लेकर एक लाख भारतवासियों ने जिस शान्ति से उस रात दिल्ली पुलिस की बर्बरतापूर्ण दमन की कार्यवाही को सहन किया उसकी मिसाल मिलना कठिन है .
तीन जून को बाबा रामदेव के दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुँचाने से पूर्व ही जिस प्रकार पलक-पावडे बिछा कर केन्द्रिय सरकार के चार-चार मंत्री-गण अगवानी और स्वागत-सत्कार के लिए तैनात थे ...उससे जरा झटका तो अवश्य ही लगा कि अचानक ऐसा क्या हो गया कि केद्रीय मंत्री-मंडल में प्रधान मंत्री के बाद दूसरा स्थान रखने वाले प्रणव मुखर्जी अपने तीन-तीन वरिष्ठ सहयोगियों सहित बाबा के स्वागत के लिए इंदिरा गांधी अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँच गए और ऐसा अति विशिष्ठ व्यवहार और स्वागत ? फिर सोचा कि शायद चर्चा के लिए राम-लीला मैदान उपयुक्त न हो तो इसी कारण हवाई-अड्डे पर ही चर्चा के लिए गए होंगे...! हवाई अड्डे पर जाने का कारण कुछ भी रहा हो , आम जनता पर बाबा राम देव और सरकार का अच्छा सन्देश गया कि भ्रष्टाचार और काले धन के मामले पर सरकार भी उतनी ही संवेदनशील और फिकरमंद है और बातचीत के पश्चात् शायद शीघ्र ही कोई अध्यादेश जारी हो जाये . वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था से त्रस्त देश की आम जनता बहुत बेसब्री से यह आस लगाये बैठी थी मानो यह योग गुरु बाबा ना होकर एक दिव्य शक्ति से परिपूर्ण अवतार ही है जो इस देश को वर्तमान के सभी संकटों से उभार कर पुनः विश्व-गुरु के पद पर प्रतिष्ठित कर देंगे .
अगले दिन यानि 4 जून को रामलीला मैदान में अनशन प्रारम्भ हो गया और अगली बैठक कहाँ होगी दोपहर तक इसी पर अटकलें लगती रही . सायें-काल लगभग ७ बजे तक चली बातचीत के बाद बाबा ने राम-लीला मैदान में अनशन पर बैठे भगतों को जब संबोधित किया तो उनके चेहरे पर न तो वोह तेज था और न ही उनकी वाणी में वोह उत्साह ही था जो अमूमन हुआ करता था ....हाँ शब्दों में एक आशा अवश्य ही झलकती थी . अपने संबोधन में बाबा ने यह अवश्य ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि " उनको हिरासत में ले लिया जाता है तो उनके भगत और अनुयायी इसी प्रकार शांति से अनशन करते रहेंगे . ठीक ९ बजे कपिल सिब्बल ने जब पत्रकारों को संबोधन करते हुए आचार्य बाल कृषण द्वारा एक साधारण से पन्ने पर लिखी हुईं कुछ पंक्तियाँ जब पत्रकारों को दिखलाईं और एक धमकी भरा वाक्य कह कि " हम बाबा जी को सम्मान देकर बातचीत कर रहे हैं तो ..हम बाबा का विनाश भी कर सकते है ..कपिल सिब्बल ने इंग्लिश का Ruin शब्द प्रयोग किया . कपिल सिब्बल लहजा ही कुछ ऐसा आभास दे रहा था कि अब बस का चालक बदल गया है . अब बाबा को डील करने वाले बदल गए हैं . सरकार अब किस दिशा में चल पडी है यह उसकी भाषा और तेवरों से भी स्पष्ट झलकने लगा था .
हवाई अड्डे पर चार चार मंत्रियों के जाने और योग गुरु की मान-मुनवल करने से सरकार और कांग्रेस पार्टी की बहुत छीछालेदर हो चुकी थी . एक पांच सितारा होटल में चार घंटे तक चली बैठक में उस दिन क्या हुआ होगा आज देश का प्रत्येक प्रबुद्ध नागरिक समझ सकता है . योग गुरु और आचार्य बाल कृष्ण पर उस होटल में किस प्रकार का दबाव था और किस परिस्तिथि में अनशन तोड़ने या समाप्त करने पर रजामंदी दी होगी ..... एक साधारण से पन्ने पर आचार्य बाल कृष्ण द्वारा लिखित उन चंद पंक्तियों से यह भली-भांति समझा जा सकता है . उस रात बाबा ने अनशनकारियों से अपने अंतिम संबोधन में बहुत से संकेत दिए थे . आज यदि हमको वह पुरानी रेकॉर्डिंग मिल जाये और उसे घटनाक्रम से जोड़ते हुए देखें तो सब कुछ भली-भांति समझ में आ जाता है . कितनी बेबसी , कितना आक्रोश और कुठाओं से भरी उनकी वाणी परन्तु शब्दों में फिर भी एक आशा की झलक मिलती थी . मै व्यक्तिगत तौर से योग गुरु का अनुयायी नहीं हूँ....हाँ उनकी बहुत सी बातों का प्रशंशक अवश्य ही हूँ और इसी लिए मैं उनका सम्मान भी करता हूँ .
अब आयी वोह भयावह काली रात ....जब रात्री को सोये हुए अनशनकर्ताओं पर बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों की बरसात की गई . अर्ध-सुप्त से अनशन कारियों जिसमें बच्चे , जवान और बूड़े स्त्री व पुरुष दोनों ही थे , को पहले तो यह समझ में ही नहीं आया कि अचानक यह क्या हो गया है ? कहीं से डंडा , कहीं से आंसू गैस के गोले फिर अचानक ही कही से पथराव . मंच के अतिरिक्त दो तीन अन्य स्थानों से आग लगना . अपने प्राणों से अधिक बाबा राम देव के प्राणों की चिंता में उनके अनुयायी ...बाबा को अकेला छोड़ कर कैसे चले जायें . बिना बाबा को बतलाये जायें भी कहाँ और क्यूँ ? अभी चंद घंटों पहले तो सब कुछ ठीक ठाक था .....अब अचानक बिना किसी कारण...बिना किसी चेतावनी के यह सब क्या हो रहा है ? क्या भ्रष्टाचार और विदेशी बैंकों में जमा काले धन की बात करना अचानक इतना बड़ा अपराध हो गया ? यह कैसी स्वतंत्रता ....यह कैसा लोकतंत्र ? क्या देश हित या जन हित के कार्य के लिए अहिंसक दबाव बनाना भी अपराध हो गया है ? राम लीला मैदान में आज्ञा लेकर योग के स्थान पर अनशन करना अचानक बहुत बड़ा अपराध हो गया ? स्वतंत्रता पूर्व ब्रितानी सरकार द्वारा किया गया दमन और १९७५ का आपातकाल ..न अपील ,,न वकील,,न दलील . यही सब कुछ ही तो झेला था इस देश ने . क्या हम देश वासी इतने दुर्भाग्यशाली हैं कि २५ जून १९७५ की त्रासदी पुनः ५ जून २०११ को झेलने को विवश हों .
अभी कल की ही तो बात है .......जातिगत आरक्षण के लिए दो बार जुर्जरों और जाटों ने दस-बारह दिनों तक उत्तर भारत में हड़ताल कर जिस प्रकार रेलवे और देश को आर्थिक नुकसान पहुँचाया और दिल्ली व उत्तर भारत को एक प्रकार से बंधक बना कानून-व्यवस्था का संकट पैदा कर दिया था . क्या रामलीला मैदान में किया जा रहा वह अनशन इन सब से भी इतना अधिक खतरनाक था कि सरकार को अर्ध-रात्री में सोते हुए निरीह और अहिंसक अनशन कर्ताओं पर इतनी बर्बरता दिखलानी पडी ? हमारा युवराज आधी रात को धारा १४४ को तोड़ कर अपने सुरक्षा कर्मियों की सहायता से नोयडा के गाँव में जा सकता है ...क्या वह कानून के दृष्टी से अपराध नहीं है ? उसके विरुद्ध काउ सी कारवाही की गई थी ? असंख्य प्रश्न हैं परन्तु प्रश्नों का उत्तर देने को कोई तैयार नहीं....! केन्द्रिय सरकार के इस प्रकार के आचरण से तो यही प्रदर्शित हुआ की देश में भ्रष्टाचार और काला धन जमा करने वालों का पोषण और संरक्षण वही कर रही है या उन लोगों में उनका निजी स्वार्थ है .
एक दागी और महाभियोग का आरोप झेल रहे न्यायाधीश की लोक सभा में पैरवी करने पर प्रसिद्ध हुए कपिल सिब्बल रामलीला मैदान में अर्ध-रात्री को पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक कार्यवाही पर कहते हैं कि कोई लाठी चार्ज नहीं हुआ है...और न ही कोई घायल हुआ है . पुलिस का भी यही कहना है . क्या इस प्रकार के संतरियों-मंत्रियों पर ( Perjury ) का मुकद्दमा नहीं चलना चाहिए ? क्या सरकार की स्तिथि हास्यापद नहीं हो जाती जब अगले ही दिन केद्रीय गृह-मंत्री घायलों को मुआवजा देने की बात करते नजर आते हैं . जब कोई घायल ही नहीं तो मुआवजा किस बात का ? सैकड़ों की संख्या में घायल और कुछ की हालत नाजुक भी बताई जा रही है और इनमें एक दो तो हिमाचल से भी हैं . कितने तो अभी भी लापता बताये जा रहे है ......न जाने वोह कहाँ और किस हाल में हैं ? केन्द्रिय सरकार और कांग्रेस पार्टी दोनों ही अपने-अपने तरह से बयान-बाजी कर और मीडिया द्वारा कुछ ब्रमित करने वाली बातें फैला कर योग गुरु बाबा , आचार्य बाल कृष्ण और इनकी तमाम संस्थाओं को कटघरे में खड़ा करने की नाकाम कुचेष्ठा कर रहे हैं . यह सब असली मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए बड़े बेशर्मी से किया जा रहा है . यह दोनों साथ साथ नहीं चल सकता . पूर्व में भी एक तरफ प्रणव मुखर्जी की अगुवाई में बातचीत की जा रही थी....और दूसरी ओर लोक-तंत्र में राज-शाही का झंडा उठाये कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह " न जाने " किसके आदेश से अपना भोंपू बजाये जा रहे थे . लगता है यह " न जाने " ही दूसरा चालक है जिसके हाथ में बस का स्टेयरिंग आते ही बस दुर्घटना ग्रस्त हो गई .
उधर बाबा राम देव का अनशन जारी है ....और चिकित्सकों की राय में स्तिथि चिंता-जनक है . देश भर के धार्मिक और आध्यात्मिक साधू-संत अब हरिद्वार की ओर रुख कर रहे है . केद्रीय सरकार भी बाबा के स्वास्थ्य के विषय में चिंता जता रही है . अस्पुष्ट समाचारों के अनुसार अब पुनः पुराने वाले चालक के हाथ में ही बस का स्टेयरिंग दिया जा रहा है . अब की बार बस चलाने के साथ साथ Damage control और नुक्सान-भरपाई का भी काम देखेंगे . ईश्वर करे सभी घायल अति-शीघ्र स्वस्थ हो अपने घरों को लौटें . इस सारे काण्ड का यदि हम निष्पक्ष आंकलन करें तो पाएंगे कि अनशन कारियों का भी कुछ विशेष नुक्सान नहीं हुआ कुछ एक नाजुक घायलों को छोड़ कर . और न ही कुछ विशेष हानि बाबा को हुई है.....जो है ही फकीर उसका नारा ही होता है... नंगा ही आया था ...और नंगा ही जाऊंगा ...उसका कोई क्या बिगड़ सकता है ? हाँ यदि बहुत बड़ा नुक्सान किसी का हुआ है तो वोह है ..कांग्रेस पार्टी . और कितना नुक्सान हुआ है....यह तो भविष्य में आने चुनाव ही बता सकते हैं . केद्रीय सरकार को यह समझना चाहिये कि आस्था सब पर भारी पड़ती है .
अभी अभी समाचार आ रहे हैं कि बाबा राम देव की स्तिथि अत्यंत नाजुक हो गई है और उन्हें ( चिकित्सालय ) I.C.U. में भर्ती करवाया गया है . श्री श्री रविशंकर भी उनके साथ I.C.U ( चिकित्सालय ) में उपस्थित है . राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल जो आजकल देहरादून में हैं ..ने भी बाबा राम देव के स्वास्थ्य के विषय में चिंता जतलाई है . ईश्वर उन्हें लंबी आयु दे....व्यवस्था को सुधारने वाले ऐसे आध्यात्मिक गुरु सदियों में एक बार पैदा होते हैं .
विनायक शर्मा
राष्ट्रीय संपादक " विप्र वार्ता "
पंडोह , मंडी
क्या आप प्रबुद्ध पाठक-जनों को ४ जून से पूर्व और ४ जून के बाद के धटनाक्रम से कुछ ऐसा ही प्रतीत नहीं हुआ...कि अचानक देश की बागडोर किसी अन्य के हाथ में चली गई है ? ५ जून की रात में दिल्ली की राम-लीला मैदान में जो महाभारत हुआ ...उसका अंदेशा किसी को भी नहीं था . आज भी देश वासी समझने में असमर्थ हैं कि उस रात ऐसी कौन सी मुसीबत अचानक आन पडी थी इस देश पर या दिल्ली पर कि रात को सोते हुए अनशनकारियों पर पुलिस वाले दमनकारी बन कर टूट पड़े . उन निरीह अनशनकारियों में १०-१२ वर्ष के बच्चों से लेकर ८०-८५ वर्ष तक की महिलाएं और पुरुष दोनों ही थे . धार्मिक और आध्यात्मिक गुरुओं के आह्वान पर पचास हजार से लेकर एक लाख भारतवासियों ने जिस शान्ति से उस रात दिल्ली पुलिस की बर्बरतापूर्ण दमन की कार्यवाही को सहन किया उसकी मिसाल मिलना कठिन है .
तीन जून को बाबा रामदेव के दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुँचाने से पूर्व ही जिस प्रकार पलक-पावडे बिछा कर केन्द्रिय सरकार के चार-चार मंत्री-गण अगवानी और स्वागत-सत्कार के लिए तैनात थे ...उससे जरा झटका तो अवश्य ही लगा कि अचानक ऐसा क्या हो गया कि केद्रीय मंत्री-मंडल में प्रधान मंत्री के बाद दूसरा स्थान रखने वाले प्रणव मुखर्जी अपने तीन-तीन वरिष्ठ सहयोगियों सहित बाबा के स्वागत के लिए इंदिरा गांधी अन्तराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँच गए और ऐसा अति विशिष्ठ व्यवहार और स्वागत ? फिर सोचा कि शायद चर्चा के लिए राम-लीला मैदान उपयुक्त न हो तो इसी कारण हवाई-अड्डे पर ही चर्चा के लिए गए होंगे...! हवाई अड्डे पर जाने का कारण कुछ भी रहा हो , आम जनता पर बाबा राम देव और सरकार का अच्छा सन्देश गया कि भ्रष्टाचार और काले धन के मामले पर सरकार भी उतनी ही संवेदनशील और फिकरमंद है और बातचीत के पश्चात् शायद शीघ्र ही कोई अध्यादेश जारी हो जाये . वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था से त्रस्त देश की आम जनता बहुत बेसब्री से यह आस लगाये बैठी थी मानो यह योग गुरु बाबा ना होकर एक दिव्य शक्ति से परिपूर्ण अवतार ही है जो इस देश को वर्तमान के सभी संकटों से उभार कर पुनः विश्व-गुरु के पद पर प्रतिष्ठित कर देंगे .
अगले दिन यानि 4 जून को रामलीला मैदान में अनशन प्रारम्भ हो गया और अगली बैठक कहाँ होगी दोपहर तक इसी पर अटकलें लगती रही . सायें-काल लगभग ७ बजे तक चली बातचीत के बाद बाबा ने राम-लीला मैदान में अनशन पर बैठे भगतों को जब संबोधित किया तो उनके चेहरे पर न तो वोह तेज था और न ही उनकी वाणी में वोह उत्साह ही था जो अमूमन हुआ करता था ....हाँ शब्दों में एक आशा अवश्य ही झलकती थी . अपने संबोधन में बाबा ने यह अवश्य ही स्पष्ट कर दिया था कि यदि " उनको हिरासत में ले लिया जाता है तो उनके भगत और अनुयायी इसी प्रकार शांति से अनशन करते रहेंगे . ठीक ९ बजे कपिल सिब्बल ने जब पत्रकारों को संबोधन करते हुए आचार्य बाल कृषण द्वारा एक साधारण से पन्ने पर लिखी हुईं कुछ पंक्तियाँ जब पत्रकारों को दिखलाईं और एक धमकी भरा वाक्य कह कि " हम बाबा जी को सम्मान देकर बातचीत कर रहे हैं तो ..हम बाबा का विनाश भी कर सकते है ..कपिल सिब्बल ने इंग्लिश का Ruin शब्द प्रयोग किया . कपिल सिब्बल लहजा ही कुछ ऐसा आभास दे रहा था कि अब बस का चालक बदल गया है . अब बाबा को डील करने वाले बदल गए हैं . सरकार अब किस दिशा में चल पडी है यह उसकी भाषा और तेवरों से भी स्पष्ट झलकने लगा था .
हवाई अड्डे पर चार चार मंत्रियों के जाने और योग गुरु की मान-मुनवल करने से सरकार और कांग्रेस पार्टी की बहुत छीछालेदर हो चुकी थी . एक पांच सितारा होटल में चार घंटे तक चली बैठक में उस दिन क्या हुआ होगा आज देश का प्रत्येक प्रबुद्ध नागरिक समझ सकता है . योग गुरु और आचार्य बाल कृष्ण पर उस होटल में किस प्रकार का दबाव था और किस परिस्तिथि में अनशन तोड़ने या समाप्त करने पर रजामंदी दी होगी ..... एक साधारण से पन्ने पर आचार्य बाल कृष्ण द्वारा लिखित उन चंद पंक्तियों से यह भली-भांति समझा जा सकता है . उस रात बाबा ने अनशनकारियों से अपने अंतिम संबोधन में बहुत से संकेत दिए थे . आज यदि हमको वह पुरानी रेकॉर्डिंग मिल जाये और उसे घटनाक्रम से जोड़ते हुए देखें तो सब कुछ भली-भांति समझ में आ जाता है . कितनी बेबसी , कितना आक्रोश और कुठाओं से भरी उनकी वाणी परन्तु शब्दों में फिर भी एक आशा की झलक मिलती थी . मै व्यक्तिगत तौर से योग गुरु का अनुयायी नहीं हूँ....हाँ उनकी बहुत सी बातों का प्रशंशक अवश्य ही हूँ और इसी लिए मैं उनका सम्मान भी करता हूँ .
अब आयी वोह भयावह काली रात ....जब रात्री को सोये हुए अनशनकर्ताओं पर बर्बरता पूर्वक लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों की बरसात की गई . अर्ध-सुप्त से अनशन कारियों जिसमें बच्चे , जवान और बूड़े स्त्री व पुरुष दोनों ही थे , को पहले तो यह समझ में ही नहीं आया कि अचानक यह क्या हो गया है ? कहीं से डंडा , कहीं से आंसू गैस के गोले फिर अचानक ही कही से पथराव . मंच के अतिरिक्त दो तीन अन्य स्थानों से आग लगना . अपने प्राणों से अधिक बाबा राम देव के प्राणों की चिंता में उनके अनुयायी ...बाबा को अकेला छोड़ कर कैसे चले जायें . बिना बाबा को बतलाये जायें भी कहाँ और क्यूँ ? अभी चंद घंटों पहले तो सब कुछ ठीक ठाक था .....अब अचानक बिना किसी कारण...बिना किसी चेतावनी के यह सब क्या हो रहा है ? क्या भ्रष्टाचार और विदेशी बैंकों में जमा काले धन की बात करना अचानक इतना बड़ा अपराध हो गया ? यह कैसी स्वतंत्रता ....यह कैसा लोकतंत्र ? क्या देश हित या जन हित के कार्य के लिए अहिंसक दबाव बनाना भी अपराध हो गया है ? राम लीला मैदान में आज्ञा लेकर योग के स्थान पर अनशन करना अचानक बहुत बड़ा अपराध हो गया ? स्वतंत्रता पूर्व ब्रितानी सरकार द्वारा किया गया दमन और १९७५ का आपातकाल ..न अपील ,,न वकील,,न दलील . यही सब कुछ ही तो झेला था इस देश ने . क्या हम देश वासी इतने दुर्भाग्यशाली हैं कि २५ जून १९७५ की त्रासदी पुनः ५ जून २०११ को झेलने को विवश हों .
अभी कल की ही तो बात है .......जातिगत आरक्षण के लिए दो बार जुर्जरों और जाटों ने दस-बारह दिनों तक उत्तर भारत में हड़ताल कर जिस प्रकार रेलवे और देश को आर्थिक नुकसान पहुँचाया और दिल्ली व उत्तर भारत को एक प्रकार से बंधक बना कानून-व्यवस्था का संकट पैदा कर दिया था . क्या रामलीला मैदान में किया जा रहा वह अनशन इन सब से भी इतना अधिक खतरनाक था कि सरकार को अर्ध-रात्री में सोते हुए निरीह और अहिंसक अनशन कर्ताओं पर इतनी बर्बरता दिखलानी पडी ? हमारा युवराज आधी रात को धारा १४४ को तोड़ कर अपने सुरक्षा कर्मियों की सहायता से नोयडा के गाँव में जा सकता है ...क्या वह कानून के दृष्टी से अपराध नहीं है ? उसके विरुद्ध काउ सी कारवाही की गई थी ? असंख्य प्रश्न हैं परन्तु प्रश्नों का उत्तर देने को कोई तैयार नहीं....! केन्द्रिय सरकार के इस प्रकार के आचरण से तो यही प्रदर्शित हुआ की देश में भ्रष्टाचार और काला धन जमा करने वालों का पोषण और संरक्षण वही कर रही है या उन लोगों में उनका निजी स्वार्थ है .
एक दागी और महाभियोग का आरोप झेल रहे न्यायाधीश की लोक सभा में पैरवी करने पर प्रसिद्ध हुए कपिल सिब्बल रामलीला मैदान में अर्ध-रात्री को पुलिस द्वारा बर्बरता पूर्वक कार्यवाही पर कहते हैं कि कोई लाठी चार्ज नहीं हुआ है...और न ही कोई घायल हुआ है . पुलिस का भी यही कहना है . क्या इस प्रकार के संतरियों-मंत्रियों पर ( Perjury ) का मुकद्दमा नहीं चलना चाहिए ? क्या सरकार की स्तिथि हास्यापद नहीं हो जाती जब अगले ही दिन केद्रीय गृह-मंत्री घायलों को मुआवजा देने की बात करते नजर आते हैं . जब कोई घायल ही नहीं तो मुआवजा किस बात का ? सैकड़ों की संख्या में घायल और कुछ की हालत नाजुक भी बताई जा रही है और इनमें एक दो तो हिमाचल से भी हैं . कितने तो अभी भी लापता बताये जा रहे है ......न जाने वोह कहाँ और किस हाल में हैं ? केन्द्रिय सरकार और कांग्रेस पार्टी दोनों ही अपने-अपने तरह से बयान-बाजी कर और मीडिया द्वारा कुछ ब्रमित करने वाली बातें फैला कर योग गुरु बाबा , आचार्य बाल कृष्ण और इनकी तमाम संस्थाओं को कटघरे में खड़ा करने की नाकाम कुचेष्ठा कर रहे हैं . यह सब असली मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए बड़े बेशर्मी से किया जा रहा है . यह दोनों साथ साथ नहीं चल सकता . पूर्व में भी एक तरफ प्रणव मुखर्जी की अगुवाई में बातचीत की जा रही थी....और दूसरी ओर लोक-तंत्र में राज-शाही का झंडा उठाये कांग्रेस के महासचिव राजा दिग्विजय सिंह " न जाने " किसके आदेश से अपना भोंपू बजाये जा रहे थे . लगता है यह " न जाने " ही दूसरा चालक है जिसके हाथ में बस का स्टेयरिंग आते ही बस दुर्घटना ग्रस्त हो गई .
उधर बाबा राम देव का अनशन जारी है ....और चिकित्सकों की राय में स्तिथि चिंता-जनक है . देश भर के धार्मिक और आध्यात्मिक साधू-संत अब हरिद्वार की ओर रुख कर रहे है . केद्रीय सरकार भी बाबा के स्वास्थ्य के विषय में चिंता जता रही है . अस्पुष्ट समाचारों के अनुसार अब पुनः पुराने वाले चालक के हाथ में ही बस का स्टेयरिंग दिया जा रहा है . अब की बार बस चलाने के साथ साथ Damage control और नुक्सान-भरपाई का भी काम देखेंगे . ईश्वर करे सभी घायल अति-शीघ्र स्वस्थ हो अपने घरों को लौटें . इस सारे काण्ड का यदि हम निष्पक्ष आंकलन करें तो पाएंगे कि अनशन कारियों का भी कुछ विशेष नुक्सान नहीं हुआ कुछ एक नाजुक घायलों को छोड़ कर . और न ही कुछ विशेष हानि बाबा को हुई है.....जो है ही फकीर उसका नारा ही होता है... नंगा ही आया था ...और नंगा ही जाऊंगा ...उसका कोई क्या बिगड़ सकता है ? हाँ यदि बहुत बड़ा नुक्सान किसी का हुआ है तो वोह है ..कांग्रेस पार्टी . और कितना नुक्सान हुआ है....यह तो भविष्य में आने चुनाव ही बता सकते हैं . केद्रीय सरकार को यह समझना चाहिये कि आस्था सब पर भारी पड़ती है .
अभी अभी समाचार आ रहे हैं कि बाबा राम देव की स्तिथि अत्यंत नाजुक हो गई है और उन्हें ( चिकित्सालय ) I.C.U. में भर्ती करवाया गया है . श्री श्री रविशंकर भी उनके साथ I.C.U ( चिकित्सालय ) में उपस्थित है . राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल जो आजकल देहरादून में हैं ..ने भी बाबा राम देव के स्वास्थ्य के विषय में चिंता जतलाई है . ईश्वर उन्हें लंबी आयु दे....व्यवस्था को सुधारने वाले ऐसे आध्यात्मिक गुरु सदियों में एक बार पैदा होते हैं .
विनायक शर्मा
राष्ट्रीय संपादक " विप्र वार्ता "
पंडोह , मंडी


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